
भोपाल (मध्य प्रदेश) : कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भोपाल में लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जन्म जयंती के अवसर पर महिला सशक्तिकरण महासम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उनके संबोधन मंच से कुछ दूरी पर आज की महिलाएं, युवतियां अपने-अपने मोबाइल से प्रधानमंत्री की तस्वीर उतार रही थी । उससे एक दिन पहले भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण की ओर से भारत में मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या भी सार्वजनिक की गयी थी। जब प्रधानमंत्री के सामने आज की महिलाओं को, अहिल्याबाई होल्कर को और मोबाइल उपभोक्ताओं को एक साथ देखा तो यह निर्णय नहीं ले पाया कि क्या तस्वीर खींचती ये महिलाएं देवी अहिल्याबाई होल्कर को जानती भी हैं? या देवी अहिल्याबाई जो भारत की विरासत का प्रतीक हैं, आज के युवक-युवतियां पहचानती भी हैं? शायद नहीं – क्योंकि यह सेल्फी का युग है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जितनी तन्मयता के साथ देवी अहिल्याबाई के बारे में एक-एक शब्द बोल रहे थे, इन महिलाओं को देखकर नहीं लगा कि वे प्रधानमंत्री की बहुमूल्य बातों को सुन रही हैं। वैसे उनके मोबाइल पर भी देवी अहिल्याबाई होल्कर के बारे में वृतांत उपलब्ध है, लेकिन पढ़ेगा कौन यह एक नहीं 140 करोड़ का प्रश्न है।
भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण के अनुसार भारत में कुल मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या फरवरी-25 के अंत में 1,154.05 मिलियन थी जो बढ़कर मार्च-25 के अंत में 1,156.99 मिलियन हो गई। प्राधिकरण ने यह दवा भी किया कि यह वृद्धि औसतन 0. 25 फीसदी मासिक है। प्राधिकरण के अनुसार शहरी क्षेत्रों में मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या जो फरवरी-25 के अंत में 627.94 मिलियन थी, बढ़कर मार्च-25 के अंत में 628.31 मिलियन हो गई और इसी अवधि के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में वायरलेस (मोबाइल) उपभोक्ताओं की संख्या भी 526.11 मिलियन से बढ़कर 528.68 मिलियन हो गई। शहरी और ग्रामीण मोबाइल उपभोक्ताओं की मासिक वृद्धि दर क्रमशः 0.06% और 0.49% रही। यानी शहरों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल के उपभोक्ताओं में वृद्धि दर अधिक है।
वैसे भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में रोजी-रोटी के अवसर नहीं होने के कारण लोगों का, खासकर पुरुषों का पलायन भारत के शहरों की ओर होना स्वाभाविक है, अतः मोबाइल सेवाओं की उपभोक्ता ‘पुरुष’ नहीं, बल्कि ‘महिलाएं’ हैं भारत के ग्रामीण इलाकों में। महिला सशक्तिकरण का इससे बड़ा दृष्टान्त और क्या हो सकता है।
दुर्भाग्य देखिये। मोबाइल सेवा प्रदाताओं में सरकारी क्षेत्र के भारत संचार निगम लिमिटेड का उपभोक्ता-बेस चौथे स्थान पर (29.94 फीसदी) है, जबकि रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड का उपभोक्ता-बेस पहले स्थान पर (465.10), भारती एयरटेल लिमिटेड का उपभोक्ता-बेस दूसरे स्थान (280.76) पर, वोडाफोन आइडिया लिमिटेड का उपभोक्ता-बेस तीसरे स्थान (125.63) पर है और पांचवें स्थान पर दर्ज है आईबस वर्चुअल नेटवर्क सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड। खैर।

लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर का नाम सुनकर गहरी श्रद्धा व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके असाधारण व्यक्तित्व का वर्णन करने के लिए शब्द कम पड़ जाएंगे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देवी अहिल्याबाई दृढ़ इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प का प्रतीक हैं, जो दर्शाती हैं कि चाहे कितनी भी प्रतिकूल परिस्थितियां क्यों न हों, परिवर्तनकारी परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। ढाई सौ से तीन सौ साल पहले, जब देश उत्पीड़न की जंजीरों में जकड़ा हुआ था, ऐसे असाधारण कार्य करना – इतने बड़े कि पीढ़ियां आज भी उनको याद करती हैं – कोई आसान काम नहीं था।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर ने कभी भी ईश्वर की सेवा और लोगों की सेवा के बीच अंतर नहीं किया। वे हमेशा अपने साथ शिवलिंग रखती थीं। यह उनकी गहरी भक्ति को दर्शाता है। उस समय की चुनौतियों पर विचार करते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ऐसे युग में राज्य का नेतृत्व करना कांटों का ताज पहनने के समान था। फिर भी, लोकमाता अहिल्याबाई ने अपने राज्य की समृद्धि को एक नई दिशा प्रदान की, स्वयं को सबसे गरीब लोगों को सशक्त बनाने के लिए समर्पित कर दिया। अहिल्याबाई भारत की विरासत की एक महान संरक्षक थी। उन्होंने काशी विश्वनाथ सहित देश भर में कई मंदिरों के जीर्णोद्धार में उनके योगदान का उल्लेख किया। उन्होंने उसी शहर वाराणसी में सेवा करने का अवसर मिलने पर अपना सौभाग्य व्यक्त किया, जहां लोकमाता अहिल्याबाई ने अनेक विकास कार्य किए थे।
प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि माता अहिल्याबाई ने एक अनुकरणीय शासन मॉडल लागू किया जिसमें गरीबों और हाशिए पर पड़े लोगों के कल्याण को प्राथमिकता दी गई। उन्होंने रोजगार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की। उन्होंने कृषि, वन उपज पर आधारित कुटीर उद्योगों और हस्तशिल्प को बढ़ावा दिया। कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए, उन्होंने छोटी नहरें बनवाई और लगभग 250-300 साल पहले कई तालाबों का निर्माण करवाकर जल संरक्षण के प्रयास किए। उन्होंने किसानों की आय बढ़ाने और फसल विविधता को बढ़ावा देने के लिए कपास और मसालों की खेती को प्रोत्साहित किया। मोदी ने आदिवासी समुदायों और खानाबदोश समूहों के लिए उनके दूरदर्शिता पर जोर दिया। उन्होंने इन समूहों की आजीविका बढ़ाने के लिए अप्रयुक्त भूमि पर कृषि में सहयोग दिया।मोदी ने कहा कि भारत की आदिवासी महिला राष्ट्रपति- श्रीमती द्रौपदी मुर्मु के निर्देशन में काम करना उनका सौभाग्य है।
मोदी ने कहा, “देवी अहिल्याबाई होल्कर को हमेशा लड़कियों की शादी की न्यूनतम आयु बढ़ाने, महिलाओं के संपत्ति के अधिकार को सुरक्षित करने और विधवाओं के पुनर्विवाह का समर्थन करने जैसे उनके महत्वपूर्ण सामाजिक सुधारों के लिए याद किया जाएगा। ये ऐसे मुद्दे हैं जिन पर उनके समय में चर्चा करना भी मुश्किल था।” उन्होंने जोर देकर कहा कि सामाजिक चुनौतियों के बावजूद, देवी अहिल्याबाई ने इन प्रगतिशील सुधारों का पुरजोर समर्थन किया। उन्होंने मालवा सेना में एक विशेष महिला यूनिट भी बनाई और गांवों में महिला सुरक्षा समूह स्थापित किए जिससे सुरक्षा और सशक्तिकरण सुनिश्चित हुआ। उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए और सभी पर उनके आशीर्वाद की कामना करते हुए कहा, ‘’माता अहिल्याबाई राष्ट्र निर्माण में महिलाओं के अमूल्य योगदान का प्रतीक हैं’’।
देवी अहिल्याबाई होल्कर के एक प्रेरक कथन को याद करते हुए, जिसमें उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि जो कुछ भी प्राप्त हुआ है वह लोगों का ऋण है, जिसे चुकाना होगा, प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि उनकी सरकार उनके मूल्यों के अनुरूप काम कर रही है और ‘नागरिक देवो भव’ के सिद्धांत पर कार्य कर रही है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि महिलाओं के नेतृत्व में विकास के दृष्टिकोण को राष्ट्र की प्रगति के मूल में रखा जा रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार की हर बड़ी पहल माताओं, बहनों और बेटियों को सशक्त बनाने पर केंद्रित है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वंचितों के लिए चार करोड़ घर बनाए गए हैं जिनमें से अधिकांश महिलाओं के नाम पर पंजीकृत हैं। उन्होंने बताया कि यह पहली बार है कि उनका नाम संपत्ति के स्वामित्व से जुड़ा है। यह एक ऐतिहासिक बदलाव को दर्शाता है जहां देश भर में करोड़ों महिलाएं पहली बार घर की मालकिन बनी हैं।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पहले कई महिलाओं को अपनी स्वास्थ्य समस्याओं को छिपाने के लिए मजबूर होना पड़ता था, अक्सर वित्तीय परेशानी के कारण गर्भावस्था के दौरान अस्पताल जाने से बचती थी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आयुष्मान भारत योजना ने इस समस्या को समाप्त कर दिया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के साथ-साथ वित्तीय स्वतंत्रता भी महिला सशक्तीकरण के लिए महत्वपूर्ण है। जब एक महिला के पास अपनी आय होती है तो उसका आत्म-सम्मान बढ़ता है और घर के निर्णय लेने में उसकी भागीदारी बढ़ती है। प्रधानमंत्री ने महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए पिछले 11 वर्षों में सरकार के निरंतर प्रयासों का उल्लेख किया।
उन्होंने बताया कि 2014 से पहले 30 करोड़ से अधिक महिलाओं के पास बैंक खाता नहीं था। सरकार ने उनके लिए जन धन खाते खोलने की सुविधा प्रदान की जिनमें अब विभिन्न योजनाओं से धन सीधे हस्तांतरित किया जा रहा है। उन्होंने टिप्पणी की कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में महिलाएं मुद्रा योजना द्वारा समर्थित काम और स्वरोजगार में तेजी से शामिल हो रही हैं। यह योजना बिना किसी जमानत के ऋण प्रदान करती है। प्रधानमंत्री ने वित्तीय समावेशन पर इस पहल के प्रभाव को बताते हुए कहा, “मुद्रा के 75 प्रतिशत से अधिक लाभार्थी महिलाएं हैं।”
इस बात पर जोर देते हुए कि देश भर में 10 करोड़ महिलाएं अब स्वयं सहायता समूहों का हिस्सा हैं। ये समूह सरकार से पर्याप्त वित्तीय सहायता से आय के नए स्रोत बना रहे हैं, मोदी ने 3 करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी के रूप में सशक्त बनाने की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया और संतोष व्यक्त किया कि 1.5 करोड़ से अधिक महिलाएं पहले ही यह उपलब्धि हासिल कर चुकी हैं। उन्होंने बैंक सखियों की भूमिका का उल्लेख किया जो गांवों में लोगों को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ रही हैं, और बीमा सखियों की स्थापना के लिए सरकार की पहल पर जोर देते हुए कहा कि महिलाएं और बेटियां अब देश भर में बीमा कवरेज का विस्तार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि एक समय था जब महिलाओं को उभरती हुई तकनीकों से दूर रखा जाता था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश उस युग से आगे निकल चुका है, यह सुनिश्चित करते हुए कि महिलाएं तकनीकी प्रगति में सक्रिय रूप से भाग लें और उन्होंने कहा कि सरकार महिलाओं और बेटियों को आधुनिक तकनीक में नेतृत्व की भूमिका निभाने में सक्षम बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कृषि में ड्रोन क्रांति की ओर इशारा करते हुए इस बात पर जोर दिया कि ग्रामीण महिलाएं इस परिवर्तन का नेतृत्व कर रही हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “नमो ड्रोन दीदी पहल ग्रामीण महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ा रही है और उनकी आय के अवसरों को बढ़ा रही है और उनके लिए एक विशिष्ट पहचान बना रही है।”
इस बात पर जोर देते हुए कि देश भर में बड़ी संख्या में बेटियां वैज्ञानिक, डॉक्टर, इंजीनियर और पायलट के रूप में अपना करियर बना रही हैं, श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि विज्ञान और गणित की शिक्षा में लड़कियों का नामांकन लगातार बढ़ रहा है। श्री मोदी ने कहा, “आज, हमारे सभी प्रमुख अंतरिक्ष अभियानों में बड़ी संख्या में महिला वैज्ञानिक काम कर रही हैं”, उन्होंने उल्लेख किया कि चंद्रयान-3 अभियान में 100 से अधिक महिला वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने योगदान दिया। उन्होंने स्टार्टअप क्षेत्र में महिलाओं के उल्लेखनीय योगदान पर टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत में लगभग 45 प्रतिशत स्टार्टअप में कम से कम एक महिला निदेशक है और यह संख्या लगातार बढ़ रही है।
नीति निर्माण में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पिछले दशक में उठाए गए प्रगतिशील कदमों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पहली बार भारत को एक पूर्णकालिक महिला रक्षा मंत्री और एक महिला वित्त मंत्री मिली हैं। उन्होंने आगे जोर देकर कहा कि पंचायतों से लेकर संसद तक महिलाओं का प्रतिनिधित्व लगातार बढ़ा है। वर्तमान में 75 महिलाएं संसद सदस्य के रूप में काम कर रही हैं। प्रधानमंत्री ने इस भागीदारी को और बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया, उन्होंने रेखांकित किया कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम इस दृष्टिकोण का प्रतीक है। उन्होंने टिप्पणी की कि हालांकि इस कानून में वर्षों का विलंब हुआ लेकिन सरकार ने इसे सफलतापूर्वक पारित किया, संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के आरक्षण को मजबूत किया। उन्होंने फिर से दोहराया कि उनकी सरकार हर स्तर पर और हर क्षेत्र में महिलाओं को सशक्त बना रही है।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि अपने शासनकाल में देवी अहिल्याबाई ने न केवल विकास को आगे बढ़ाया बल्कि भारत की विरासत का भी संरक्षण किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आधुनिक भारत भी उसी रास्ते पर चल रहा है। प्रगति का सांस्कृतिक संरक्षण के साथ संतुलन बना रहा है। उन्होंने आज के कार्यक्रम का उदाहरण देते हुए बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी लाने के लिए राष्ट्र की प्रतिबद्धता का उल्लेख किया। “भारत इतिहास के एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है, जहां राष्ट्र को अपनी सुरक्षा, शक्ति और सांस्कृतिक विरासत पर एक साथ काम करना चाहिए।” उन्होंने बढ़ते प्रयासों के महत्व पर बल दिया और देश के भविष्य को आकार देने में मातृशक्ति – भारत की माताओं, बहनों और बेटियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई, रानी दुर्गावती, रानी कमलापति, अवंतीबाई लोधी, कित्तूर रानी चेन्नम्मा, रानी गाइडिन्ल्यू, वेलु नचियार और सावित्रीबाई फुले जैसी महान महिला नेताओं की विरासत के साथ-साथ लोकमाता अहिल्याबाई की प्रेरणा का आह्वान किया।
प्रधानमंत्री ने लोकमाता देवी अहिल्याबाई को समर्पित एक स्मारक डाक टिकट और एक विशेष सिक्का जारी किया। 300 रुपये के सिक्के पर अहिल्याबाई होल्कर का चित्र होगा। उन्होंने आदिवासी, लोक और पारंपरिक कलाओं में योगदान के लिए एक महिला कलाकार को राष्ट्रीय देवी अहिल्याबाई पुरस्कार भी प्रदान किया।