रिजर्व बैंक ने रेपो दर 0.75 % घटायी: कोरोना पर भी विजय पाएंगे और अर्थव्यवस्था पर भी। आप सभी सोसल-डिस्टेंस बनाये रखें

कोरोना पर भी विजय पाएंगे और अर्थव्यवस्था पर भी। आप सभी बस सोसल-डिस्टेंस बनाये रखें
कोरोना पर भी विजय पाएंगे और अर्थव्यवस्था पर भी। आप सभी बस सोसल-डिस्टेंस बनाये रखें

नई  दिल्ली / मुम्बई : कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ जारी लड़ाई में रिजर्व बैंक द्वारा कर्ज सस्ता करने और अर्थव्यवस्था में नकदी की तंगी दूर करने के कदमों का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, रेटिंग एजेंसियों और उद्योग जगत ने स्वागत किया है।​ ​ कोरोना वायरस महामारी ​ पर हम विजय हासिल करेंगे, अर्थव्यवस्था भी ठीक हो जाएगी – बस, आप सभी सोसल-डिस्टेंस बनाये रखें और सरकार के निर्देशों के अतिरिक्त स्वयं की जबाबदेही का भी पालन करें। ​  

रिजर्व बैंक ने कर्ज सस्ता करने की दिशा में रेपो दर को 0.75 प्रतिशत घटाकर 4.40 प्रतिशत कर दिया। इसी प्रकार बैंकों के पास नकदी बढ़ाने के उपायों में उसने नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को एक प्रतिशत घटाकर तीन प्रतिशत कर दिया। इससे बैंकों को अब रिजर्व बैंक के पास नकद आरक्षित अनुपात के तहत कम राशि रखनी पड़ेगी। वहीं रिवर्स रेपो दर को भी 0.90 प्रतिशत घटाकर चार प्रतिशत कर दिया है। इससे बैंकों के लिये अपने धन को बेहतर ब्याज पाने की उम्मीद में रिजर्व बैंक के पास रखने का आकर्षण कम होगा। इससे भी उनके पास उपलब्ध नकदी बढ़ेगी। केन्द्रीय बैंक ने कर्ज किस्तों के भुगतान पर अगले तीन माह के लिये रोक लगाने की भी अनुमति दी है।

अप्रत्याशित और लीक से हट कर किए गए इन निर्णयों में आरबीआई ने बैंकों को कर्ज की मासिक किस्तों (ईएमआई) की वसूली में ग्राहकों को तीन महीने की मोहलत देने की छूट भी दी है।

मौजूदा संकट को देखते हुए पूर्व घोषित कार्यक्रम से एक सप्ताह पहले पेश मौद्रिक नीति समीक्षा में रिजर्व बैंक ने कार्य शील पूंजी पर ब्याज भुगतान भी तीन महीने के टालने की बैंकों को अनुमति दी। वहीं नकदी बढ़ाने के विभिन्न उपायों के जरिये बैंकिंग प्रणाली में 3.74 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी जारी करने के कई उपायों की भी घोषणा की । यह अतिरिक्त नकदी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.2 प्रतिशत है।

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शीर्ष बैंक ने यह भी कहा कि वह जबतक आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये और कोरोना वायरस के अर्थव्यवस्था पर प्रभाव से निपटने के लिये कदम उठाने की जरूरत होगी, वह नरम रुख बनाये रखेगी।​ केंद्रीय बैंक ने बैंकों की फौरी नकदी की जरूरत पर लगने वाले ब्याज यानी रेपो दर 0.75 प्रतिशत घटाकर 4.40 प्रतिशत कर दिया। अबतक यह 5.15 प्रतिशत थी। वहीं नकदी बढ़ाने के लिये नकद अरक्षित अनुपात (सीआरआर) एक प्रतिशत कम कर 3 प्रतिशत कर दिया गया है। सीआरआर के तहत बैंकों को जमा राशि का एक हिस्सा रिजर्व के रूप में अलग रखना पड़ता है।

नीतिगत दर यानी रेपो में यह कटौती जनवरी 2009 के बाद सबसे बड़ी है। इस कटौती के बाद रेपो दर अक्टूबर 2004 के पश्चात निचले स्तर पर आ गयी है। रिवर्स रेपो दर में 0.90 प्रतिशत की कटौती कर 4 प्रतिशत पर लाया गया है। इससे बैंक आरबीआई के पास पैसा रखने को लेकर उदासीन होंगे।  

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आरबीआई के इन कदमों पर कहा कि​ इससे अर्थव्यवस्था में लेनदेन के लिए धन की उपलब्धता बढ़ेगी, धन की लागत कम होगी और मध्यम वर्ग तथा व्यावसासयियों को मदद मिलेगी।​ वहीं, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्तीय स्थिरता बनाये रखने के लिये रिजर्व बैंक गवर्नर द्वारा दिये गये आश्वासन की सराहना की है। वित्त मंत्री ने कहा कि कर्ज किस्तों के भुगतान पर और कार्यशील पूंजी के ब्याज भुगतान पर तीन माह की मोहलत देने का रिजर्व बैंक का फैसला है ऐसा है जिसकी काफी जरूरत महसूस की जा रही थी।​ उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक की ब्याज दर कटौती का लाभ ग्रहकों को शीघ्रता से पहुंचाया जाना चाहिये।

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वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भी रिजर्व बैंक की घोषणाओं का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक की घोषणाओं से लोगों को और कारोबारियों को काफी राहत मिलेगी। उन्होंने ट्वीट में कहा, ‘‘कर्ज की किस्त और कार्यशील पूंजी पर ब्याज भुगतान पर तीन माह की रोक के रिजर्व बैंक के कदम का स्वागत करता हूं। संकट की इस घडी में इन कदमों से काफी राहत मिलेगी।’’

नीति आयोग ने भी कोविड- 19 के प्रभावों से निपटने में रिजर्व बैंक के ताजा कदमों की सराहना की है। आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने इनका स्वागत करते हुये कहा कि रेपो दर में कटौती के केन्द्रीय बैंक के फैसले से कर्ज सस्ता होगा। रेपो दर में 0.75 प्रतिशत और रिवर्स रेपो दर में 0.90 प्रतिशत की कटौती से बैंकों से कर्ज देने की रफ्तार तेज होगी।

नीति आयोग के सीईओ अमिताथ कांत ने कहा कि कर्ज की मासिक किस्तों के भुगतान पर तीन माह की मोहलत से उद्योगों और आम नौकरी पेशा लोगों के पास नकदी की तंगी की समस्या कम होगी। उन्होंने कहा कि कि रिजर्व बैंक ने उचित समय पर यह कदम उठाया है।

स्टेट बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा कि रिजर्व बैंक की नीतिगत घोषणा कोरोना वायरस महामारी से लड़ने में अर्थव्यवस्था की जरूरतों को ध्यान में रखते हुये की गई है। उन्होंने फैसलों को ठोस, निर्णायक, बेहतर और मानवीयता के प्रति संवेदनशील बताया।

मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस की अल्का अनबारासू ने कहा कि रिजर्व बैंक द्वारा बैंकों और गैर- बैंकिंग वित्तीय संस्थानों को कर्ज वापसी किस्तों में तीन माह की रोक लगाने की अनुमति दिये जाने का उनके कर्जदारों पर पड़ने वाले नकारात्मक रिण प्रभाव को नरम करेगा। बहरहाल, भारत की अर्थव्यवस्था में आये इस ठहराव का संपत्ति गुणवत्ता पर अभी भी गिरावट आने का जोखिम बना हुआ है। रोक की अवधि समाप्त होने के कुछ तिमाहियों तक भी इसके प्रभाव का पता नहीं चल पायेगा।

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भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने कहा कि रिजर्व बैंक के फैसले का मध्यमवर्ग को फायदा होगा। ‘‘मैं केन्द्रीय बैंक के सही समय और सही दिशा में उठाये गये कदमों का स्वागत करता हूं।’’

पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने भी कहा कि कर्ज की किस्त वापसी में तीन माह की रोक का लोगों और उद्यमियों को काफी राहत मिलेगी।

रेमंड लिमिटेड के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक गौतम हरि सिंघानिया, एस्सार पोट्र्स के सीईओ राजीव अग्रवाल, सीबीआरई के अंशुमाल मैगजीन ने भी कहा कि रिजर्व बैंक के कदमों से उद्योगों को नकदी की तंगी से काफी हद तक राहत मिलेगी। कर्ज की किस्त वापसी में तीन माह की रोक से घर खरीदारों को जरूरी सहायता एवं समर्थन मिलेगा।   ​(भाषा के सौजन्य से)​

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