खेलो इंडिया: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जन भागीदारी, खेल उत्कृष्टता को बढ़ावा देना है, बच्चों के हुनर निर्माण में मदद करें

नई दिल्ली: पटना / नई दिल्ली : अनुमानतः भारत में तक़रीबन 36+ करोड़ युवा 14 वर्ष और कम के हैं। इस अल्प आयु में देश का प्रधानमंत्री अगर एक युवा के कंधे पर हाथ रखकर उसकी हुनर की तारीफ करें, तो इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है उस युवक के लिए । समस्तीपुर (बिहार) के 14-वर्षीय आईपीएल सनसनी वैभव सूर्यवंशी के साथ कुछ ऐसा ही हुआ था विगत माह के 30 तारीख को जब भारत के युवा खिलाड़ियों को सन्देश देते प्रधानम्नत्री नरेंद्र मोदी पटना स्थित जय प्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर वैभव सूर्यवंशी और उसके माता-पिता से मिलकर युवा क्रिकेटर की प्रशंसा की, जिनके बल्लेबाजी कौशल ने पुरे देश में प्रशंसक बटोरे हैं। यह सिर्फ उसकी हुनर की बात थी। 

इतना ही नहीं, कई तस्वीरों के साथ प्रधानमंत्री अपने ‘X’ पोस्ट पर लिखे भी : “पटना एयरपोर्ट पर युवा क्रिकेट सनसनी वैभव सूर्यवंशी और उनके परिवार से मुलाकात की। उनके क्रिकेट कौशल की पुरे देश में प्रशंसा हो रही है। उनके भविष्य के प्रयासों के लिए मेरी शुभकामनाएं। ” उसी महीने की शुरुआत में, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए सातवें खेलो इंडिया यूथ गेम्स के उद्घाटन समारोह के दौरान, मोदी ने वैभव की सफलता के पीछे की कड़ी मेहनत को उजागर किया था। उन्होंने कहा, “मैंने आईपीएल में बिहार के बेटे वैभव सूर्यवंशी का शानदार प्रदर्शन देखा है। इतनी कम उम्र में वैभव ने इतना बड़ा रिकॉर्ड बनाया है। वैभव के प्रदर्शन के पीछे कड़ी मेहनत है।” 

नाम आदमी की पहचान होती है। प्रत्येक माता-पिता अपने संतान के जन्म के बाद नामकरण करते समय बहुत बातों का ध्यान रखते हैं। नाम ऐसा रखते हैं की जीवन में उसकी सार्थकता सिद्ध करने से वह उसके व्यक्तित्व का पर्यायवाची बन जाता है। नाम बहुत महत्वपूर्ण होता है। एक व्यक्ति जीवन भर अपने नाम से जाना जाता है । इसलिए, नाम मायने रखता है । एक ‘नाम’ ही है जो हममें से प्रत्येक को हमारी अपनी पहचान और व्यक्तित्व से जोड़ सकता है, बल्कि यह शक्ति, जिम्मेदारी और आशीर्वाद भी ला सकता है। 

ज्ञातव्य हो कि 2023 के फरवरी महीने में दरभंगा के महाराजाधिराज डॉ. कामेश्वर सिंह द्वारा स्थापित ‘दी इण्डियन नेशन (अंग्रेजी दैनिक – 1930) और आर्यावर्त (हिंदी दैनिक – 1940)’ के प्रकाशक ‘दी न्यूजपेपर एंड पब्लिकेशन लिमिटेड’ के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक कुमार शुभेश्वर सिंह (दिवंगत) के नाम अंकित ‘कुमार शुभेश्वर सिंह मेमोरियल क्रिकेट टूर्नामेंट’ में वैभव खेले थे। उस समय अपने 12-वर्ष की आयु में वैभव क्रिकेट बैट और बॉल का जो समन्वय दिखाया था, वह दरभंगा के मैदान में सभी को चकित कर दिया था। उसके अदम्य साहस और खेल प्रतिभा के सम्मानार्थ कुमार शुभेश्वर सिंह के छोटे पुत्र कुमार कपिलेश्वर सिंह 23 फरवरी, 2023 को दस हज़ार रूपये की सम्मान राशि प्रदान किये थे।

वैभव की बातें यहाँ इसलिए कर रहा हूँ कि वह एक दृष्टान्त है। विगत कुछ वर्षों में बढ़ी हुई भागीदारी से लेकर वैश्विक पोडियम फिनिश तक, 2014 और 2025 के बीच भारत की खेल यात्रा,विज़न, समावेशिता और निष्पादन द्वारा चिह्नित की गई है। खेलो इंडिया, टीओपीएस और केआईआरटीआई  जैसे प्रमुख फ्लैगशिप कार्यक्रमों ने हर स्तर पर प्रतिभाओं की पहचान, प्रशिक्षण और निखारने के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचा और वित्तीय सहायता प्रदान की है। जिसके परिणाम न केवल अंतरराष्ट्रीय पदक तालिकाओं में बल्कि देश के भीतर बढ़ती खेल संस्कृति में भी दिखाई दे रहे हैं। 2036 और उससे आगे के ओलंपिक खेलों के लिए एक स्पष्ट रोडमैप के साथ, भारत शीर्ष-10 खेल राष्ट्र बनने के अपने लक्ष्य की ओर लगातार आगे बढ़ रहा है।

भारत सरकार के खेल मंत्रालय के अनुसार, 2016-17 में शुरू की गई खेलो इंडिया – राष्ट्रीय खेल विकास कार्यक्रम, का उद्देश्य ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में जन भागीदारी और खेल उत्कृष्टता को बढ़ावा देना है। इस योजना को 2021 में 3,790.50 करोड़ रु के परिव्यय के साथ पाँच वर्षों के लिए विस्तार दिया गया। प्रमुख उपलब्धियों में शामिल हैं। मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार,  इन वर्षों में  3,124.12 करोड़ रु की लागत वाली 326 नई खेल अवसंरचना परियोजनाओं को मंज़ूरी दी गयी है, साथ ही, जमीनी स्तर पर प्रशिक्षण और सहायता के लिए 1,045 खेलो इंडिया केंद्रों (केआईसी) की स्थापना की गयी है। इतना ही नहीं, देश में खेल-कूद के विकास के लिए, ताकि भारतीय प्रतियोगी वैश्विक स्तर पर अपनी मेधा का बहुगामी प्रदर्शन कर देश का नाम उज्जवल कर सकें, 34 खेलो इंडिया राज्य उत्कृष्टता केंद्रों (केआईएससीई) की अधिसूचना और 306 अकादमियों की मान्यता दी गयी, साथ ही, 2,845 खेलो इंडिया एथलीटों (केआईए) को कोचिंग, उपकरण, चिकित्सा देखभाल और मासिक आउट-ऑफ-पॉकेट भत्ते के साथ सहायता प्रदान की गयी है। 

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खेल मंत्रालय का मानना है कि खेलो की दिशा में चार चांद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में ही संभव हो पाया है। मंत्रालय के अधिकारी के अनुसार, भारत का अपने एथलीटों के लिए समर्थन अब पहले से कहीं अधिक संरचित और केंद्रित है। दृष्टिकोण समग्र है और एथलीट की यात्रा के हर चरण को कवर करता है। गांवों में कच्ची प्रतिभाओं को खोजने से लेकर ओलंपिक पदक विजेताओं का समर्थन करने तक, सरकार ने बड़े पैमाने पर कदम उठाए हैं। खिलाड़ियों की वास्तविक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अब प्रशिक्षण, वित्त पोषण, सुविधाएँ और खेल के बाद का जीवन, कई तरह की योजनाएँ मौजूद हैं। प्रत्येक कदम एथलीटों को आगे बढ़ने और शीर्ष पर बने रहने में मदद करने के लिए बनाया गया है।

अधिकारी का कहना है कि “खेलो इंडिया अभियान के तहत, खेलो इंडिया यूथ गेम्स (केआईवाईजी), खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स (केआईयूजी), खेलो इंडिया पैरा गेम्स और खेलो इंडिया विंटर गेम्स (केआईडब्ल्यूजी) को वार्षिक राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं के रूप में स्थापित किया गया, जहाँ युवा खिलाड़ी क्रमशः अपने राज्यों और विश्वविद्यालयों का प्रतिनिधित्व करते हुए अपने कौशल का प्रदर्शन करते थे और पदक के लिए प्रतिस्पर्धा करते थे। इस पहल की शुरुआत 2018 में नई दिल्ली में आयोजित खेलो इंडिया स्कूल गेम्स से हुई थी। उस वर्ष बाद में भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के इस पहल से जुड़ने के बाद इसे और बढ़ावा मिला और इसके परिणामस्वरूप 2019 से खेलो इंडिया स्कूल गेम्स का नाम बदलकर खेलो इंडिया यूथ गेम्स कर दिया गया। केआईवाईजी की शुरुआत 2018 में 18 खेलों के साथ हुई थी। 2025 में, जब बिहार में केआईवाईजीका 7वां संस्करण आयोजित किया गया, तो इसमें 27 खेल शामिल थे। अब तक, खेलो इंडिया गेम्स के 17 संस्करण आयोजित किए जा चुके हैं, जिनमें 50,000 से अधिक एथलीटों ने भाग लिया है। खेलो इंडिया पैरा गेम्स 2023 और 2025 में 1,300 से अधिक एथलीटों ने भाग लिया।”

खेल मंत्रालय के अनुसार, भारत में दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी है, जिसमें लगभग 65% लोग 35 वर्ष से कम आयु के हैं। इस जनसांख्यिकीय लाभांश की क्षमता को पहचानते हुए, युवा मामले और खेल मंत्रालय युवा विकास और खेल प्रोत्साहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह विभिन्न पहलों के माध्यम से व्यक्तित्व निर्माण, कौशल वृद्धि और राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करता है। भारत के खेल भविष्य को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए युवा मामले और खेल मंत्रालय को 3794 करोड़ रु का रिकॉर्ड आवंटन किया है। इसका एक बड़ा हिस्सा, यानी 2,191.01 करोड़ रु, केंद्रकी योजनाओं को आवंटित किया गया है, जिसमें प्रमुख खेलो इंडिया कार्यक्रम को 1,000 करोड़ रु मिले हैं। वित्त वर्ष 2014-15 में मंत्रालय को बजट आवंटन 1643 करोड़ रु था, जो 2025-26 में 130.9% की वृद्धि दर्शाता है।

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अधिकारी कहते है कि ‘कीर्ति’ (खेलो इंडिया राइजिंग टेलेंट आइडेंटिफिकेशन’ के तहत 9 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों में खेल प्रतिभाओं की पहचान करने और उन्हें बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रव्यापी पहल है। यह कार्यक्रम पारदर्शी, योग्यता-आधारित चयन के लिए देश भर में प्रतिभा मूल्यांकन केंद्रों (टीएसी), मानकीकृत प्रोटोकॉल और उन्नत आईटी उपकरणों (एआई और डेटा एनालिटिक्स सहित) का उपयोग करता है। वर्तमान में देश में 174 टीएसी हैं। कीर्ति का उद्देश्य एथलीटों की एक स्थायी शृंखला बनाना है, ताकि भारत को 2036 तक शीर्ष-10 खेल राष्ट्र और 2047 तक शीर्ष-5 राष्ट्र बनने में मदद मिल सके। सरकार भारत के शीर्ष एथलीटों को ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों की तैयारी के लिए सहायता प्रदान करती है। चयनित एथलीटों को मंत्रालय की सामान्य योजनाओं के तहत उपलब्ध नहीं होने वाले अनुकूलित प्रशिक्षण और अन्य सहायता के लिए राष्ट्रीय खेल विकास कोष (एनएसडीएफ़) से वित्त पोषण के साथ समर्थन दिया जाता है। कोर ग्रुप एथलीटों को प्रति माह 50,000 रुपये का आउट ऑफ पॉकेट भत्ता (ओपीए) दिया जाता है। इसके अलावा जूनियर एथलीटों को 25,000 रुपये प्रति माह के वजीफे के साथ सहायता देने के लिए एक विकास समूह भी जोड़ा गया। टीओपीएसने टोक्यो 2020 और पेरिस 2024 ओलंपिक में भारत को पदक जीतने में योगदान दिया।

मंत्रालय के अनुसार, अगस्त 2024 तक, इस योजना के तहत 174 व्यक्तिगत एथलीट और 2 हॉकी टीमों (पुरुष और महिला) को कोर ग्रुप के रूप में चुना गया है। इसी तरह, फिटनेस को हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बनाने के उद्देश्य से फिट इंडिया मूवमेंट की शुरुआत की गई थी। इस मूवमेंट का मिशन व्यवहार में बदलाव लाना और शारीरिक रूप से अधिक सक्रिय जीवनशैली की ओर बढ़ना है। पहली बार फिट इंडिया कार्निवल, तीन दिवसीय फिटनेस और वेलनेस फेस्टिवल, मार्च 2025 में नई दिल्ली में आयोजित किया गया। 2023 में’फिट इंडिया- स्वस्थ हिंदुस्तान’ कार्यक्रम नामक एक विशेष ऑनलाइन श्रृंखला, जो प्रख्यात फिटनेस विशेषज्ञों और फिट इंडिया आइकन का एक टॉक शो है की शुरूआत की गई। इस मूवमेंट के तहत, फिट इंडिया फैमिली सेशन आयोजित किए गए, जिसका उद्देश्य विशेषज्ञों के साथ फिटनेस पर सरल और आसान सूत्रों के द्वारा परिवारों में फिटनेस रूटीन को शामिल करना था। अक्टूबर 2019 में फिट इंडिया मूवमेंट के तहत देशभर में 1500 से अधिक फिट इंडिया प्लॉग रन आयोजित किए गए। 

अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में, खासकर भारत की ओलंपिक यात्रा में 2016 और 2024 के बीच उल्लेखनीय परिवर्तन देखने को मिला, जिसने एथलेटिक उत्कृष्टता के एक नए युग को रेखांकित किया। रियो 2016 में 117 सदस्यीय दल द्वारा 2 पदकों की मामूली बढ़त से, भारत ने टोक्यो 2020 में 7 पदक जीतकर बढ़त हासिल की और पेरिस 2024 में 6 पदकों के साथ मजबूत प्रदर्शन जारी रखा, दोनों ही दल 117-119 एथलीटों के थे। इस अवधि में उल्लेखनीय प्रदर्शन करने वालों में एथलेटिक्स (भाला फेंक) में भारत के पहले ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता (टोक्यो 2020)नीरज चोपड़ा और भारोत्तोलन में लगातार पदक जीतने वाली मीराबाई चानू शामिल हैं। इसी तरह, पिछले तीन संस्करणों में भारत की पैरालिंपिक उपलब्धियाँ तेज़ी से बढ़ी हैं, जो दिव्यांग एथलीटों के लिए एक मज़बूत समर्थन प्रणाली को दर्शाती है। रियो 2016 में 19 एथलीटों के साथ 4 पदक से, टोक्यो 2020 में पदकों की संख्या बढ़कर 19 हो गई और पेरिस 2024 में 29 पदकों पर पहुँच गई, जहाँ 84 भारतीय एथलीटों ने भाग लिया। इस सफलता में अकेले 2024 में 7 स्वर्ण, 9 रजत और 13 कांस्य शामिल हैं, जो पैरा-स्पोर्ट्स में भारत की बढ़ती ताकत का प्रमाण है। प्रमुख सितारों में निशानेबाजी में अवनी लेखरा, भाला फेंक में सुमित अंतिल और बैडमिंटन में प्रमोद भगत शामिल हैं। टीओपीएस और खेलो इंडिया पैरा गेम्स जैसे कार्यक्रमों में पैरा-एथलीटों को शामिल करने से भारत को वैश्विक पैरा-स्पोर्ट्स में एक ताकत के रूप में उभरने में मदद मिली है।

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जहाँ तक एशियाई खेलों का सवाल है, भारत का प्रदर्शन भागीदारी और पोडियम फिनिश दोनों में लगातार वृद्धि को दर्शाता है। इंचियोन 2014 में, 541 एथलीटों के भारतीय दल ने 57 पदक जीते। जकार्ता 2018 तक, यह बढ़कर 570 एथलीट और 69 पदक हो गया। हांग्जो 2023 में सफलता मिली, जहां भारत ने 655 एथलीटों का अपना अब तक का सबसे बड़ा दल भेजा और 28 स्वर्ण, 38 रजत और 41 कांस्य सहित ऐतिहासिक 107 पदक लेकर लौटा। भाला फेंक में नीरज चोपड़ा, मुक्केबाजी में लवलीना बोरगोहेन, तथा बैडमिंटन में सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी जैसे एथलीटों ने इस रिकॉर्ड में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसी तरह, भारत ने राष्ट्रमंडल खेलों में लगातार उत्कृष्टता का प्रदर्शन किया है। ग्लासगो 2014 में, 215 सदस्यीय दल ने 64 पदक जीते। गोल्ड कोस्ट 2018 में 218 एथलीटों के साथ यह संख्या बढ़कर 66 हो गई और बर्मिंघम 2022 में 210 एथलीटों के साथ 61 पदकों के साथ स्थिर रही। ये पदक कुश्ती, भारोत्तोलन, टेबल टेनिस और एथलेटिक्स जैसे विविध खेलों में शामिल हैं। प्रमुख प्रदर्शन करने वालों में बैडमिंटन में पीवी सिंधु, कुश्ती में विनेश फोगट और भारोत्तोलन में अचिंता शेउली शामिल हैं।

अन्य वैश्विक उपलब्धियों में भारत ने बुडापेस्ट में 2024 एफआईडीए शतरंज ओलंपियाड में दोहरा स्वर्ण पदक जीता। भारतीय एथलीटों ने जॉर्डन में 2023 आईटीटीएफ एफए 20 एआई -वातानीपैरा टेबल टेनिस चैंपियनशिप में 22 पदक जीते। भारत ने बुडापेस्ट में विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2023 में भाला फेंक में स्वर्ण पदक जीता। भारतीय बैडमिंटन पुरुष टीम ने मई 2022 में थॉमस कप जीतकर इतिहास रच दिया।मिस्र में आयोजित आईएसएसएफ राइफल/पिस्टल विश्व चैंपियनशिप 2022 (सीनियर और जूनियर) में भारतीय दल ने 34 पदक जीते। जर्मनी में आयोजित आईएसएसएफ जूनियर विश्व कप 2023 में भारतीय टीम शीर्ष पर रही। खेल सचिव के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधि मंडल ने 2023 में, बाकू, अज़रबैजान में यूनेस्को द्वारा आयोजित शारीरिक शिक्षा और खेल के लिए जिम्मेदार मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों के सातवें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (एमआईएनईपीएस VII) में भाग लिया। भारत की भागीदारी महत्वपूर्ण थी, जिसमें प्रतिनिधियों के लिए एक विशेष योग सत्र आयोजित किया गया था। जम्मू और कश्मीर राज्य में खेल अवसंरचना के विकास के लिए 200 करोड़ रुपये के विशेष पैकेज को 2015 में मंजूरी दी गई थी। श्रीनगर और जम्मू जैसे राजधानी जिलों के लिए स्वीकृत मौजूदा स्टेडियमों और अन्य कार्यों का नवीनीकरण/उन्नयन मंत्रालय द्वारा किया गया था। इन कार्यों की अनुमानित लागत 84 करोड़ रुपये आंकी गई थी।

बहरहाल, राष्ट्रीय खेल पुरस्कार भारत में सर्वोच्च खेल सम्मान है, जिन्होंने भारत को वैश्विक खेल मानचित्र पर स्थान दिलाया है, यह उन एथलीटों की असाधारण उपलब्धियों का जश्न मनाता है।  प्रतिवर्ष दिए जाने वाले ये प्रतिष्ठित पुरस्कार राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों में असाधारण प्रदर्शन को सम्मान देते हैं, साथ ही सीमाओं से परे खेल भावना को बढ़ावा देते हैं। भारत में खिलाड़ियों को दिए जाने वाले पुरस्कारों की कुल छह श्रेणियाँ हैं। नेहरू युवा केंद्र संगठन (एनवाईकेएस) दुनिया के सबसे बड़े युवा संगठनों में से एक है। एनवाईकेएस की उपस्थिति नेहरू युवा केंद्रों (एनवाईके) के माध्यम से 623 जिलों में है। एनवाईकेएस की गतिविधियों के फोकस में साक्षरता और शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, स्वच्छता और सफाई, पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता, महिला सशक्तिकरण, ग्रामीण विकास, कौशल विकास और स्वरोजगार, उद्यमिता विकास, नागरिक शिक्षा, आपदा राहत और पुनर्वास आदि शामिल हैं।

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