दरभंगा / पटना / दिल्ली : साल 1977 में एक सिनेमा आया था। नाम ‘किनारा’ था। इसकी कथा-पटकथा गुलजार साहब की थी। उस सिनेमा में जीतेन्द्र, हेमा मालिनी, धर्मेंद्र अभिनय किये थे। किनारा सिनेमा में अन्य गीतों के अलावे एक बहुत ही मधुर गीत था ‘नाम गुम जायेगा, चेहरा ये बदल जायेगा, मेरी आवाज़ ही पहचान है, गर याद रहे।” इस गीत के गीतकार स्वयं गुलजार ही थे, संगीत दिया था राहुल देव बर्मन और गायक भूपेंद्र तथा लता मंगेशकर। यह गीत राग कल्याण पर आधारित था। विश्व के लोग जब लता मंगेशकर की बात करते हैं तो कहते रुकते नहीं ‘मेरी आवाज ही पहचान है, गर याद रहें।” आज ‘किनारा’ सिनेमा के प्रदर्शन और उस गीत के बजने के 48-साल बाद अंतराष्ट्रीय खेल की दुनिया में “वैभव सूर्यवंशी” अपना नाम स्थापित कर दिए। आज अगर लता मंगेशकर जीवित होती, अगर दरभंगा के विख्यात क्रिकेट प्रेमी कुमार शुभेश्वर सिंह जीवित होते तो शायद वे स्वयं फोन कर वैभव को कहते ‘तुम्हारा खेल ही तुम्हारा पहचान है।”
नाम आदमी की पहचान होती है। प्रत्येक माता-पिता अपने संतान के जन्म के बाद नामकरण करते समय बहुत बातों का ध्यान रखते हैं। नाम ऐसा रखते हैं की जीवन में उसकी सार्थकता सिद्ध करने से वह उसके व्यक्तित्व का पर्यायवाची बन जाता है। नाम बहुत महत्वपूर्ण होता है। एक व्यक्ति जीवनभर अपने नाम से जाना जाता है । इसलिए, नाम मायने रखते हैं। एक ‘नाम’ ही है जो हममें से प्रत्येक को हमारी अपनी पहचान और व्यक्तित्व से जोड़ सकता है, बल्कि यह शक्ति, जिम्मेदारी और आशीर्वाद भी ला सकता है। एक तो “वैभव” और दूसरा “सूर्यवंशी” – यानी सोना में सुहागा।

वैभव सूर्यवंशी अपने पिता के साथ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास पर पिछले वर्ष आये थे। मुख्यमंत्री से मुलाक़ात किये थे। उस मुलाकात से पहले तक नीतीश कुमार शायद ‘वैभव सूर्यवंशी’ को नहीं जानते थे, पहचानने की बात तो मीलों दूर। उस अवसर पर सम्राट चौधरी भी साथ थे। आज नीतीश कुमार आई॰पी॰एल॰ के इतिहास में सबसे कम उम्र (14 साल) में शतक लगाने वाले खिलाड़ी बने बिहार के वैभव सूर्यवंशी से फोन पर बात किये और उन्हें बधाई दिए। उन्होंने कहा कि वे अपनी मेहनत और प्रतिभा के बलबूते भारतीय क्रिकेट की एक नई उम्मीद बन गए हैं। सभी को उन पर गर्व है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार द्वारा 10 लाख रू० की सम्मान राशि भी दी जाएगी।
बिहार के खेलकूद की दुनिया में कलम के महारथी और पूर्व खेल संपादक दीपक कोचगवे भी शब्दों से वैभव की तारीफ किये। उन्होंने लिखा कि “बिहार के समस्तीपुर जिले के ताजपुर का रहने वाला 14 वर्षीय वैभव सूर्यवंशी अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट जगत में मात्र 35 गेंदों में शतक लगाकर तहलका मचा दिया। मैदान के चारों तरफ शाट लगाते रहा। राजस्थान रॉयल की ओर से खेलते हुए इस बच्चे ने गुजरात टाइटन्स के गेंदबाजों को धून कर रख दिया। अनुभवी गेंदबाज इशांत शर्मा के चौथे ओवर में उनकी जबरदस्त पिटाई की तीन छक्के और दो चौके लगाकर 28 रन बटोर लिए। कहते हैं कि वैभव के पिता संजीव सूर्यवंशी ने अपने बच्चे के क्रिकेट के लिए जमीन बेच दी थी 9 साल की उम्र में समस्तीपुर के जेनिथ क्रिकेट एकेडमी में वह कोचिंग लेने लगा। राजस्थान रायल ने उसे एक करोड़ 10 लाख में खरीदा था। वह मात्र 5 गेंदों से क्रिस गेल का रिकॉर्ड तोड़ने से वंचित रह गया। 17 गेंद में 50 और 35 में सैकड़ा जड़ दिया। पिछले मैच में लखनऊ के खिलाफ 20 गेंदों में 34 रन बनाकर उसने बता दिया था कि वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में एक उभरता बल्लेबाज बनेगा आज उसने साबित कर दिया। देश तुम्हें सलाम करता है।”
लेकिन मुख्यमंत्री से मिलने से एक साल पहले 2023 के फरवरी महीने में दरभंगा के महाराजाधिराज डॉ. कामेश्वर सिंह द्वारा स्थापित ‘दी इण्डियन नेशन (अंग्रेजी दैनिक – 1930) और आर्यावर्त (हिंदी दैनिक – 1940)’ के प्रकाशक ‘दी न्यूजपेपर एंड पब्लिकेशन लिमिटेड’ के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक कुमार शुभेश्वर सिंह (दिवंगत) के नाम अंकित ‘कुमार शुभेश्वर सिंह मेमोरियल क्रिकेट टूर्नामेंट’ में साल 2023 में वैभव खेले थे। उस समय अपने 12-वर्ष की आयु में वैभव क्रिकेट बैट और बॉल का जो समन्वय दिखाया था, वह दरभंगा के मैदान में सभी को चकित कर दिया था। उसके अदम्य साहस और खेल प्रतिभा के सम्मानार्थ कुमार शुभेश्वर सिंह के छोटे पुत्र कुमार कपिलेश्वर सिंह 23 फरवरी, 2023 को दस हज़ार रूपये की सम्मान राशि प्रदान किये थे।
कल जब दरभंगा के मैदान से आईपीएल में वह सबसे कम उम्र का शतक लगाने वाले खिलाड़ी बना तो कुमार कपिलेश्वर सिंह उसके उज्ज्वल भविष्य की हार्दिक बधाई। शायद आज कुमार शुभेश्वर सिंह भी इस ब्रह्माण्ड से अपने पुत्र की मानवीयता और उस बच्चे के खेल के लिए आशीष देते होंगे।

वरिष्ठ पत्रकार के.विक्रम राव तो यहाँ तक कहते हैं ‘सचिन को भी वैभव ने पछाड़ा !’ वे कहते हैं कि परिवार की विपन्नता क्रिकेट का सितारा बनने में बाधक नहीं हो सकती है। इसको बिहार (समस्तीपुर) के 14-वर्षीय वैभव सूर्यवंशी ने साबित कर दिया। इसे बालक कहेंगे, युवक भी नहीं। उसके पिता संजीव सूर्यवंशी ने अपने उपजाऊ खेत बेच दिए ताकि बेटे वैभव को कोचिंग कराई जा सके। हालांकि वैभव के शरीर से बाल्यावस्था की चर्बी ज्यों की त्यों अभी भी बनी है। मगर दमदार शॉट लगाने और शरीर के आकार को बनाए रखने में वह प्रयासरत रहा। दस साल की आयु से नेट पर रोजाना 600 गेंदों का सामना करता था। उसके पिता भी अपने इस लाडले बेटे के लिए दस अतिरिक्त टिफिन बॉक्स लेकर जाते थे। सब काम आ गए। नतीजा सामने है। वैभव करोड़पति बन गए।
राव साहब कहते हैं कि पिछले साल आईपीएल मेगा नीलामी में राजस्थान रॉयल्स ने वैभव सूर्यवंशी को 1.1 करोड़ रुपये में खरीदा था। 27 मई 2011 को जन्में वैभव लिस्ट में सबसे युवा खिलाड़ी थे। उन्होंने जनवरी 2024 में अपना फर्स्ट क्लास डेब्यू बिहार के लिए किया था। तब उनकी उम्र 12 साल और 284 दिन थी। पिछले साल वह चेन्नई में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारतीय अंडर-19 टीम का हिस्सा थे। तब उन्होंने 58 गेंदों में शतक जड़कर सुर्खियों का बाजार गर्म किया था। बिहार के लिए सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में वैभव ने टी20 डेब्यू किया। उन्हें एक मैच में मौका मिला, लेकिन कुछ खास नहीं कर सके। वह एसीसी अंडर-19 एशिया कप 2024-25 में सातवें सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बैटर बने। उन्होंने पांच मैचों में 176 रन बनाए, जिसमें सर्वश्रेष्ठ स्कोर नाबाद 76 रन है।
पत्रकारिता के धनुर्धर विक्रम राव कहते हैं कि “एक हिंदी कहावत सही साबित होती है कि “बेहतरीन लोग इत्तेफाक से मिलते हैं।” अर्थात अच्छे लोग आपकी जिंदगी में अचानक, बिना किसी योजना के आते हैं, और ये मुलाकातें एक भाग्यशाली संयोग होती हैं। वैभव की कोच कर्नाटक के राहुल द्रविड़ कल रात सवाई मानसिंह पवेलियन में सबसे खुश दर्शक थे। वे इस किशोर वैभव की कोच हैं।”
वैभव का क्रिकेट सफर असाधारण था। सूर्यवंशी ने 12 साल की उम्र में बिहार की अंडर-19 टीम के लिए वीनू मांकड़ ट्रॉफी खेली थी। उन्होंने जनवरी 2024 में 12 वर्ष और 284 दिन की उम्र में मुंबई के खिलाफ बिहार के लिए प्रथम श्रेणी में पदार्पण किया। ऐसा करने पर, वह बिहार के लिए रणजी ट्रॉफी खेलने वाले दूसरे सबसे कम उम्र के क्रिकेटर बन गए , और कुल मिलाकर चौथे सबसे कम उम्र के खिलाड़ी। वह युवराज सिंह (15 वर्ष और 57 दिन) का रिकॉर्ड तोड़ते हुए आधुनिक युग में सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए , अलीमुद्दीन ने राजपुताना के लिए 1942-43 सीज़न में सिर्फ 12 साल और 73 दिन की उम्र में सबसे कम उम्र के भारतीय प्रथम श्रेणी पदार्पण का समग्र रिकॉर्ड अपने नाम किया।
IPL में दूसरा सबसे तेज शतक उसने 11वें ओवर की दूसरी गेंद पर राशिद खान की बॉल पर छक्का जड़कर 35 गेंद पर शतक पूरा कर लिया। यह आईपीएल में दूसरा सबसे तेज शतक है। तुलनात्मक रूप से भारत रत्न सचिन तेंदुलकर को वैभव सूर्यवंशी ने मिलों पीछे छोड़ दिया है। सचिन किसी भी मैच के 11 खिलाड़ियों में नहीं रहे, एक्स्ट्रा फील्डर के रूप में खेलते थे। 15 साल की आयु में गुजरात के खिलाफ सैकड़ा बनाया था।