बिहार में आने वाले ‘स्टार्टअप’ के ‘उद्यमियों’ की बातों को लिखने, गाँव-गाँव तक पहुँचाने के लिए ‘आर्यावर्तइण्डियननेशन.कॉम’ से बेहतर कौन हो सकता है

पटना / नई दिल्ली: बिहार की संस्कृति की शहर मधुबनी के एक सज्जन, जो वर्तमान में न्यूयॉर्क में सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में कार्य करते हैं, कल अचानक मोबाइल पर घंटी बजाये। महाशय लिंक्डइन से लेकर सोशल मीडिया के कई प्लेटफार्म सहित, आर्यावर्तइण्डियननेशन(डॉट)कॉम की गतिविधियों पर पैनी निगाह रखते हैं। न्यूयॉर्क से फोन की घंटी बजना एक सुखद आश्चर्य था। बहुत तरह की बातें हुई और अंत में निचोड़ यह था कि आज बिहार में जन्म लिए और देश-विदेश में रहने वाले शिक्षित युवक-युवती अपने प्रदेश के विकास के लिए अनेकानेक क्षेत्रों में स्टार्टअप खोल रहे हैं, ताकि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पुनः परिभाषित किया जा सके; इंटरनेट मीडिया में पारम्परिक मीडिया से अलग हटकर आर्यावर्तइण्डियननेशन(डॉट)कॉम को स्टार्टअप का स्वरुप क्यों नहीं दिया जा सकता है?

उनका कहना था कि “आप लिखते बहुत बेबाक है और यही बेबाकीपन कल भी इन अख़बारों की ताकत थी, और आज आप उसकी गुणवत्ता को जीवित रखने का अथक प्रयास कर रहे हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि ‘आज अपने प्रदेश में एक तो अपना मीडिया नहीं है, जो हैं सभी आयातित हैं और पैसे कमाने के लिए ही बिहार को बाजार बनाये हैं। खुल कर भले लोग स्वीकार नहीं करें, लेकिन आज भी ‘आर्यावर्त’ और ‘इण्डियन नेशन’ अख़बार-द्वय बिहार के लोगों के डीएनए में है।’ इण्डियन नेशन (1930) और आर्यावर्त (1940) में स्थापित हुआ बिहार के लोगों की आवाज के रूप में। 

उनका कहना था कि “इस बात से भी कोई इंकार नहीं कर सकता है कि अपने जीवनकाल में यह दोनों समाचार पत्र प्रदेश की राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, औद्योगिक, कृषि कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं था, जहाँ शब्दों से यह नहीं पहुंचा था। आज प्रदेश की सत्ता के गलियारे में जो भी महात्मन बैठे हैं, उन्हें इन अख़बारों ने सड़क से विधानसभा और संसद तक पहुँचाया है। आज प्रदेश में जितने भी युवक, युवतियां स्टार्टअप के क्षेत्र में आ रहे हैं, उनकी सोच को सकारात्मक स्वरूप देने के लिए एक ऐसी इंटरनेट मीडिया की जरूरत है जो उनकी बातों को सुनें, समझें, उनके बारे में लिखें और मोबाइल के सहारे प्रदेश के प्रत्येक लोगों तक पहुंचे। इसका कारण यह है कि प्रदेश में भले देश-विदेश से लोगों का आवागमन हो रहा हो स्टार्टअप के क्षेत्र में, लेकिन उनकी बातों को सुनकर, उनके बारे में सकारात्मक लिखने वालों की किल्लत है।”

कई विदेशी राष्ट्रों का दृष्टान्त देते कहते हैं कि “हम इसे टीवी की तरह, या यूट्यूब के सहारे, प्रदेश के एक-एक नए स्टार्टअप करने वाले व्यक्तियों की सोच और उनके कार्यों को 130,725,310 लोगों तक प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से पहुंचा सकते हैं। बिहार ही नहीं, वैश्विक स्तर पर भी आज स्थिति यह है कि लोग अख़बार पढ़ें अथवा नहीं, टीवी देखें अथवा नहीं, व्हाट्सएप पर आये ख़बरों को जरूर खोलते हैं। चलते-फिरते विभिन्न प्रकार के स्टार्टअप समाचार को देखते, पढ़े जरूर है। आज सांख्यिकी चाहे जो भी कह ले, प्रदेश की आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा प्रदेश के ग्रामीण और श्री क्षेत्रों में रहता है जो अच्छे ख़बरों के लिए लालायित है।” उनकी बातों में दम तो था।   
 
वैसे पिछले वर्ष बिहार की निवेश संभावनाओं को प्रदर्शित करने वाले वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन के दूसरे संस्करण से पहले यह कहा गया था कि बिहार में पिछले पांच वर्षों में डेटा खपत में 15 गुना वृद्धि देखी गई है। बिहार के मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने कहा था कि 2019 में दूरसंचार क्षेत्र में लगभग छह करोड़ मोबाइल उपयोगकर्ता थे, आज 7.25 करोड़ हैं। 2019 में, हमारे पास प्रति माह औसत डेटा उपयोग 1.67 गीगाबाइट था, लेकिन अब यह 27 गीगाबाइट हो गया है। बिहार में 45,000 से अधिक मोबाइल टावर स्थापित किए हैं। राज्य की सभी पंचायतें अब ऑप्टिकल फाइबर केबल से जुड़ गई हैं। सभी गाँव नेटवर्क से जुड़ गए हैं। बिहार में पिछले पांच वर्षों में डेटा की खपत में 15 गुना उछाल आया है।

इतना ही नहीं, बिहार ने बुनियादी ढांचे के विकास में अभूतपूर्व वृद्धि देखी है, इसकी सड़क घनत्व देश में तीसरा सबसे बड़ा है जो व्यापार और परिवहन को सुविधाजनक बनाता है। इसका बिजली उत्पादन 700 मेगावाट से बढ़कर 7,000 मेगावाट हो गया है। पिछले दो दशकों में बुनियादी ढांचे के निर्माण में भारी निवेश होने के कारण बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। पिछले दशक के दौरान, राष्ट्रीय और राज्य दोनों राजमार्ग नेटवर्क ने बिहार में जबरदस्त वृद्धि देखी है। आज हमारे पास 1.2 लाख किलोमीटर ग्रामीण सड़कों का नेटवर्क है।” पिछले साल के बजट में राज्य सरकार ने राज्य में चार एक्सप्रेस हाईवे बनाने की घोषणा की थी। 

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अभियंता साहब आगे कहते हैं कि इस वेबसाइट की सबसे बड़ी ताकत यह है कि ‘इसे अपनी पहचान की किल्लत नहीं है।’ आज भले इन अख़बारों को स्थापित करने वाले दरभंगा के महाराजा डॉ. सर कामेश्वर सिंह के परिवार और परिजनों को इस अख़बारों के प्रति, इसके नामों के प्रति संवेदना नहीं हो (अगर होता तो पारम्परिक अख़बारों का यह हश्र नहीं होता), लेकिन बिहार के लोग, यहाँ तक कि युवापीढ़ी, उद्योग के क्षेत्र से, शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोग, नेता सभी ऋणी हैं। यह अख़बार कल भी सच लिखता था, लोगों के घरों में सुख-दुःख में साथ था, आज भी हो सकता है। हम कुछ लोग इस पर विचार कर रहे हैं ताकि इस वेबसाइट को बिहार का नंबर-1 विश्वसनीय प्लेटफॉर्म बनाया जाय और प्रदेश में आने वाले सभी नए स्टार्टअप शुरू करने वाले लोगों के लिए अपना दोस्त बन सके। 

उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा

बहरहाल, उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा के अनुसार, सरकार युवाओं के नवाचार को समर्थन देने के लिए हर संभव कदम उठा रही है। स्टार्टअप प्रस्तावों का गहन विश्लेषण कर उन्हें आर्थिक और तकनीकी सहायता दी जाती है। इससे राज्य में आत्मनिर्भरता और आर्थिक समृद्धि की नई इबारत लिखी जा रही है। बिहार सरकार की स्टार्टअप योजना सभी वर्ग और समुदाय के लोगों को स्वरोजगार प्रदान कर इन्हें स्वावलंबी बनाने में बेहद सहायक साबित हो रही है। इसके प्रति तेजी से आकर्षण बढ़ता जा रहा है। 

उद्योग विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि कल्पना और उमा झा ने एक जीवंत व्यवसाय शुरू किया है जो अपने घर के बने अचार के माध्यम से मिथिला के प्रामाणिक स्वादों को दुनिया तक पहुंचाता है। तीस से अधिक वर्षों से, वे अपने स्वादिष्ट उत्पादों को नई दिल्ली से न्यूयॉर्क तक भेजकर मित्रों और परिवार को प्रसन्न करते रहे हैं। “जस नौकरी” एक गतिशील भर्ती मंच है जो भारत और विदेशों में कॉर्पोरेट्स, प्लेसमेंट एजेंसियों और नौकरी चाहने वालों को जोड़ता है। यह सभी हितधारकों के लिए भर्ती प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए एक व्यापक रिज्यूमे डेटाबेस, जॉब लिस्टिंग और उन्नत प्रतिक्रिया प्रबंधन टूल तक पहुंच सहित कई प्रकार की सेवाएं प्रदान करता है। 

“लिटिगेटर” कानूनी पेशेवरों के लिए नेटवर्क बनाने और उद्योग समाचारों पर अपडेट रहने के लिए अंतिम मंच के रूप में कार्य करता है। यह सुरक्षित स्थान अधिवक्ताओं को जुड़ने, सहयोग करने और मामलों पर चर्चा करने में सक्षम बनाता है, जिससे उनकी कानूनी विशेषज्ञों को आगे बढ़ाने और पेशेवर संबंधों को बढ़ाने के लिए समर्पित एक सहायक समुदाय को बढ़ावा मिलता है।

इसी तरह, “नेटिवक्लैप” एक ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म है जो आपके राज्य में चुने हुए विक्रेताओं, निर्माताओं और ब्रांडों से प्रामाणिक, पारंपरिक और अनन्य उत्पाद प्रदान करता है। ऑनलाइन खरीदारी करते समय अनूठे उत्पादों की खोज करें और स्थानीय कारीगरों का समर्थन करें। “श्री” खुले में शौच को खत्म करने के लिए समुदायों के साथ भागीदारी करता है, जो स्वास्थ्य समानता की लड़ाई में एक आवश्यक कदम है। साथ मिलकर, वे सभी के लिए एक स्वस्थ वातावरण बनाने के लिए काम करते हैं। 

बिहार के मुजफ्फरपुर में एक भारतीय ऑप्टिकल रिटेल चेन, “जस-लेंस”, रोबोटिक तकनीक के साथ सटीक प्रिस्क्रिप्शन आईवियर प्रदान करती है। उनकी विनिर्माण सुविधा 3 दशमलव स्थानों तक सटीकता सुनिश्चित करती है। स्पष्ट दृष्टि और गुणवत्ता वाले उत्पाद प्रदान करते हुए, जस-लेंस आईवियर उद्योग में क्रांति ला रहा है।

“शादी करें” एक आधुनिक वैवाहिक सेवा वेबसाइट है जहाँ उपयोगकर्ता अपने जीवन साथी को खोजने के लिए पंजीकरण कर सकते हैं। दुनिया के सबसे किफ़ायती पैकेज पेश करते हुए, कंपनी का उद्देश्य ज़रूरतमंद लोगों की मदद करना है। “इंग्लिशयारी” एक अभिनव भाषा सीखने का प्लेटफ़ॉर्म है जो शिक्षार्थियों को व्यक्तिगत एक-पर-एक सत्रों के लिए प्रमाणित ट्यूटर्स से जोड़ता है। किफ़ायती मूल्य निर्धारण, लचीले शेड्यूलिंग और अनुकूलित पाठ योजनाओं के साथ, यह व्यक्तियों को बोली जाने वाली अंग्रेजी में उत्कृष्टता प्राप्त करने, भाषा सीखने को सुलभ और व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने में मदद करने के लिए समर्पित है। 

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“जस जॉलीज” एक गतिशील मनोरंजन, सामग्री निर्माण और विज्ञापन मीडिया कंपनी है। पूर्णकालिक सेवाओं में विशेषज्ञता रखने वाली यह कंपनी ग्राहकों के लिए आकर्षक और उच्च गुणवत्ता वाले मनोरंजन विकल्प प्रदान करती है। “न्यू एज न्यूज़ पोर्टल” उपयोगकर्ताओं को राजनीति, खेल, ज्योतिष, शिक्षा, नौकरी, वैश्विक मामले, व्यापार, भारत और प्रौद्योगिकी सहित विभिन्न क्षेत्रों में नवीनतम समाचार और अवसर प्रदान करता है। यह प्लेटफ़ॉर्म उपयोगकर्ताओं को उनके लिए महत्वपूर्ण विविध विषयों से अवगत और संलग्न रखता है। 

“देहात” एक आईसीटी आधारित प्लेटफ़ॉर्म और किसानों का बाज़ार है जो छोटे किसानों के लिए सभी कृषि पेशकशों को एक छत के नीचे लाता है। यह छोटे किसानों को उनकी विभिन्न ज़रूरतों – बीज, उर्वरक, उपकरण, फसल सलाह और बाज़ार से जोड़ता है। देहात का उपयोग अंतिम मील कृषि सेवा प्रदाताओं जैसे सूक्ष्म उद्यमियों, छोटे इनपुट खुदरा विक्रेताओं, कृषि व्यवसाय क्लीनिकों और किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) द्वारा किया जाता है। पेंट और कोटिंग उद्योग में एक अग्रणी नाम “मैक्स पेंट्स” ने खुद को उच्च गुणवत्ता वाले दीवार उत्पादों के शीर्ष निर्माता के रूप में स्थापित किया है। बिहार सरकार की स्टार्टअप योजना राज्य में आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मजबूत कदम साबित हो रही है। यह योजना सभी वर्गों को स्वरोजगार के अवसर प्रदान कर रही है। 

बहरहाल, प्रदेश में तेजी से स्टार्टअप की संख्या बढ़ने की वजह से बिहार की कृषि प्रधान राज्य की छवि से हटकर नवाचार और उद्यमिता के नए कलेवर वाली छवि भी बनती जा रही है। ग्रामीण इलाकों में भी स्टार्ट अप की संख्या तेजी से बढ़ रही है। उद्योग विभाग की इस योजना की वजह से युवाओं में उद्यमशीलता की भावना को प्रोत्साहन मिला है। विभाग के स्तर से स्टार्टअप बिहार के तहत एक समग्र तंत्र का निर्माण किया गया है, जो स्टार्ट-अप को उनकी शुरुआत से लेकर इसकी स्थापना और व्यवसाय के विस्तार तक सभी चरणों में सहयोग प्रदान करता है। खासकर युवाओं, महिलाओं और पारंपरिक रूप से उपेक्षित कुछ समुदायों की भागीदारी में भी इसमें बढ़ोतरी हुई है। यह राज्य के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य में परिवर्तन का संकेतक भी है। 

बिहार सरकार ने 2016 में बिहार स्टार्टअप नीति को तैयार कर इसकी अधिसूचना जारी की थी। इस पॉलिसी का मूल उद्देश्य राज्य के स्टार्टअप्स को फलने-फूलने का एक मौका देना है। 2017 में बिहार स्टार्टअप नीति में संशोधन किया गया।इस योजना के लिए सरकार ने 500 करोड़ का शुरुआती बजट रखा है। इसके जरिए बिहार सरकार युवाओं को खुद का स्टार्टअप शुरू कर आगे बढ़ने का मौका दे रही है। इस योजना के जरिए न सिर्फ स्टार्टअप्स को फायदा पहुंचेगा बल्कि बिहार राज्य में नए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। इस नीति का मुख्य उद्देश्य राज्य के युवाओं की प्रतिभा का उपयोग करते हुए स्टार्टअप के लिए एक अनुकूल माहौल बनाना है। 

बिहार को स्टार्टअप, निवेशकों और अन्य हितधारकों की पहली पसंद बनाना है। ताकि राज्य के समग्र विकास को गति मिल सके। उद्योग विभाग इससे संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों, पुरस्कारों और अभियानों को आयोजित करके नवाचार की संस्कृति को सशक्त बना रही है।बदलते उद्घमी परिदृश्य और स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इसमें बदलाव किया और बिहार स्टार्टअप नीति 2022 लागू की। नई नीति अधिक समावेशी, प्रभावी और तेज क्रियान्वयन करने वाली है। इस नीति का मुख्य उद्देश्य राज्य के युवाओं की प्रतिभा का उपयोग करते हुए स्टार्टअप के लिए एक अनुकूल माहौल बनाना है। 

उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा का कहना है कि स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न स्तर पर प्रोत्साहन से लेकर सभी तरह के सहयोगात्मक कार्य किए जा रहे हैं। युवाओं के नवाचार को बढ़ावा देने से लेकर इसके तहत आने वाले सभी प्रस्तावों पर मंथन करने के बाद इसके क्रियान्वयन के लिए हर तरह से सहायता प्रदान की जाती है। इससे स्वरोजगार को बढ़ावा मिल रहा है। युवाओं को अपने सार्थक कल्पना को आकार प्रदान करने में मदद मिल रही है। 

बिहार में अब तक 1522 स्टार्टअप पंजीकृत हो चुके हैं। इसके तहत 62 करोड़ 50 लाख रुपये की राशि वितरित की जा चुकी है। इसमें महिला उद्यमियों के अलावा अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के उद्यमियों की संख्या भी काफी है। कुछ स्टार्टअप को अतिरिक्त सहायता भी दी गयी है। बिहार सरकार राज्य की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए लगातार और केंद्रित प्रयास कर रही है। इस पहल के तहत, बिहार सरकार ने बिहार स्टार्टअप नीति 2022 पेश की है। यह नई नीति विशेष रूप से राज्य भर में उद्यमिता को प्रोत्साहित करने और बढ़ावा देने के लिए बनाई गई है। 

बिहार स्टार्टअप नीति का मुख्य लक्ष्य बिहार के भीतर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) क्षेत्र के विकास और विस्तार में उल्लेखनीय रूप से तेज़ी लाना है, जिससे एक अधिक स्वस्थ और गतिशील आर्थिक वातावरण को बढ़ावा मिले। वैसे तो स्टार्टअप की सफलता या असफलता के लिए कई कारक जिम्मेदार होते हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण कारक फंडिंग है। स्टार्टअप की सफलता या असफलता में वित्त एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बिहार स्टार्टअप नीति 2022 में राज्य सरकार द्वारा स्टार्टअप संस्थापकों को वित्तीय सहायता प्रदान करने का प्रावधान है। 

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बिहार स्टार्टअप नीति 2022 के अनुसार, सीड फंडिंग के लिए बिहार में उभरते उद्यमियों को 10 साल की अवधि के लिए 10 लाख रुपये का ब्याज मुक्त ऋण मिलेगा। महिला उद्यमियों को 10.50 लाख रुपये मिलेंगे, जबकि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्तियों को 11.50 लाख रुपये दिए जाएंगे। महिला उद्यमियों को 5% प्रोत्साहन का लाभ मिलेगा, तथा उत्पाद संवर्धन और वित्तीय प्रशिक्षण में संलग्न व्यवसायों को 3 लाख रुपये का अनुदान दिया जाएगा। इतना ही नहीं, सरकार इनक्यूबेटरों द्वारा जुटाए गए निवेश के लिए भारत सरकार और बहुपक्षीय दाता एजेंसियों से 1:1 के आधार पर मिलान निधि उपलब्ध कराएगी। नीति में साझा कार्यालय स्थान और अतिरिक्त सुविधाओं के साथ-साथ सह-कार्य स्थानों के विकास के प्रावधान शामिल हैं। सरकार का मानना है कि ह नीति देश भर में स्टार्टअप्स और एन्जेल निवेशकों के बीच संपर्क को सुगम बनाएगी। यह नीति स्टार्टअप्स को त्वरण कार्यक्रमों में नामांकन और भागीदारी करने में सहायता करेगी। इतना ही नहीं, स्टार्टअप्स को निःशुल्क मूल्यांकन सेवाएं प्रदान की जाएंगी।

उद्योग विभाग ने इस नीति के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए एक स्टार्ट-अप सहायता इकाई (SSU) की भी स्थापना की है। SSU को राज्य के स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र के निरंतर विकास को बढ़ावा देने के लिए एक सहायक नीति वातावरण को बढ़ावा देने का काम सौंपा गया है। यह पारिस्थितिकी तंत्र के हितधारकों, जिसमें मेंटर, इनक्यूबेटर, एंजेल निवेशक और उद्यम पूंजीपति शामिल हैं, के साथ जुड़ने के लिए प्राथमिक संपर्क बिंदु है। SSU के संचालन की देखरेख के लिए, उद्योग विभाग विभाग के भीतर से कर्मियों को नियुक्त कर सकता है या किसी परियोजना प्रबंधन एजेंसी (PMA) के साथ सहयोग कर सकता है। 

ज्ञातव्य हो कि बिहार के तीन स्टार्ट-अप को केंद्र सरकार द्वारा नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित स्टार्टअप महाकुंभ कार्यक्रम में प्रतिष्ठित महारथी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और EY डेल्टा, लेडीफेयर और भोजपट्टा को प्रत्येक को एक-एक लाख रुपये नकद पुरस्कार दिया गया था।  लेडी केयर ब्यूटी कॉन्सेप्ट्स प्राइवेट लिमिटेड को उसके अद्वितीय सौंदर्य-आधारित व्यवसाय मॉडल के लिए सम्मानित किया गया था। डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) स्टार्ट-अप का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को उनके घर के दरवाजे पर सैलून सर्विस देना और साथ ही आजीविका के अवसर पैदा करना है। कहते हैं कि इस पहल के तहत अब तक 150 से अधिक महिलाओं को ब्यूटीशियन की ट्रेनिंग दी गई है, जो 12 से अधिक शहरों में सेवाएं दे रही है। ये महिलाएं सामूहिक रूप से सालाना 1.5 करोड़ रुपये से अधिक पैसे कमा पा रही है। 

भोजपत्ता एक कृषि आधारित स्टार्टअप है, जिसे भोजपत्ता एग्रीप्रेन्योर प्राइवेट लिमिटेड द्वारा चलाया जाता है। इसे महज़ 4 लाख रुपये के शुरुआती निवेश के साथ लॉन्च किया गया था। 2021 में स्थापित, भोजपत्ता एक नया स्टार्टअप है जो ज़ीरो-कार्बन उत्सर्जन वाले सौर ड्रायर का उपयोग करके फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करता है। भोजपत्ता ग्रामीण सशक्तिकरण, हरित नवाचार और टिकाऊ जीवन को बढ़ावा देते हुए प्रकृति और संस्कृति को एकीकृत करता है। बिहार स्थित प्रौद्योगिकी स्टार्ट-अप ईवाई डेल्टा को उसके उत्कृष्ट योगदान के लिए रक्षा और अंतरिक्ष श्रेणी में महारथी पुरस्कार मिला था। 

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