70-वर्षीय मोदी, 86-वर्ष पुराना सपना पूरा किये बिहारियों का, जबकि सांसद, विधायक कभी मतदाताओं से सीधे-मुंह बात भी नहीं किये 

पत्र सूचना कार्यालय (रेल मंत्रालय) का खाली पन्ना 
पत्र सूचना कार्यालय (रेल मंत्रालय) का खाली पन्ना 

क्या बिडंबना है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी आज एक इतिहास रचे परन्तु केंद्र सरकार का रेल मंत्रालय के वेबसाईट पर इस इतिहास से सम्बंधित एक भी तस्वीर आज शाम  दिखी। जबकि  516 करोड़ रुपये की लागत से बने कोसी रेल महासेतु की तस्वीर  की “अनुपस्थिति” खल गई माननीय पीयूष गोयल साहेब।  आपको याद होगा  गोयल साहेब: माननीय (दिवंगत) अटल बिहारी वाजपेयीजी कहते थे: “यह अच्छी बात नहीं है।” 

खैर।  बिहार विधान सभा में ”कुर्सी तोड़ते” 243 माननीय विधायक और 40 लोक सभा सांसदगण अगर अपने अपने विधानसभा और लोक सभा क्षेत्रों का विकास समयानुसार किये होते, तो शायद आज प्रदेश का न तो यह हाल होता और ना ही, विधान सभा चुनाव से ठीक पहले प्रधानमंत्री को मतों के “आकर्षण-विकर्षण” के लिए मतदाताओं को “विशेष-उपहार” देना पड़ता। जो भी हो, विडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा बिहार राज्य की जनता को आज 516 करोड़ रुपये की लागत से बने कोसी रेल महासेतु का समर्पित किये। 

इसी के साथ कोसी और मिथिलांचल के लोगों का 86 साल पुराना सपना साकार हो गया। कोसी नदी पर इस रेल पुल के बनने से सबसे ज्यादा फायदा दरभंगा, मधुबनी, सुपौल और सहरसा जिले में रहने वाले लोगों को मिलेगा। कोसी रेल महासेतु की लम्बाई 1.9 किलोमीटर है और इसके निर्माण पर 516 करोड़ रुपये की लागत आई है। महासेतु के शुरू होने से आसपास के क्षेत्र के लोगों का उत्तरपूर्वी क्षेत्रों के साथ संपर्क काफी आसान हो जाएगा।  

कोसी रेल महासेतु

इस लोकार्पण के साथ ही, यात्री सुविधा से जुड़ी 12 रेल परियोजनाओं को बिहार की जनता को समर्पित किये जिसमें  किउल नदी पर एक रेल सेतु, दो नई रेल लाइनें, पांच विद्युतीकरण से संबंधित, एक इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव शेड और बाढ़ और बख्तियारपुर में तीसरी लाइन परियोजना भी शामिल है।

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इस अवसर पर श्री फागू चौहान, महामहिम राज्यपाल, बिहार; श्री नीतीश कुमार, माननीय मुख्यमंत्री, बिहार; श्री पीयूष गोयल, रेल, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, श्री राम विलास पासवान, उपभोक्‍ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री; श्री रविशंकर प्रसाद, माननीय कानून एवं न्‍याय, संचार, इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स तथा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री; श्री गिरिराज सिंह, पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन मंत्री; श्री सुशील कुमार मोदी उप मुख्यमंत्री, बिहार, श्री नित्यानंद राय, माननीय गृह राज्य मंत्री; सुश्री देबाश्री चौधरी, माननीया महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री; श्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव, ऊर्जा तथा मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन मंत्री, बिहार, विनोद कुमार सिंह, पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री, बिहार, श्री गौतम देव, माननीय पर्यटन मंत्री, पश्चिम बंगाल सहित अन्य गणमान्य वीडियो-कांफ्रेसिंग-लोकार्पण में यत्र-तत्र देखे। 

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी

मोदी ने कहा कि आज बिहार में रेल कनेक्टिविटी के क्षेत्र में नया इतिहास रचा गया है। इससे रेलवे में मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि करीब साढ़े आठ दशक पहले भूकंप की एक भीषण आपदा ने मिथिला और कोसी क्षेत्र को अलग-थलग कर दिया था। आज ये संयोग ही है कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के बीच इन दोनों आंचलों को आपस में जोड़ा जा रहा है। आज कोसी महासेतु होते हुए सुपौल-आसनपुर कुपहा के बीच ट्रेन सेवा शुरू होने से सुपौल, अररिया और सहरसा जिले के लोगों को बहुत लाभ होगा।  

1887 में ब्रिटिश काल के दौरान निर्मली और भपटियाही के बीच कोसी की सहायक तिलयुगा नदी पर लगभग 250 फुट लंबा मीटरगेज रेलपुल का निर्माण किया गया था । परंतु 1934 में आई भारी बाढ और विशकारी भूकंप में यह मीटरगेज रेलपल ध्वस्त हो गया । इसके बाद वर्ष 2003-04 में कोसी महासेतु नई रेल लाइन परियोजना को मंजूरी प्रदान की गई । कोसी रेल महासेतु की कुल लंबाई 1.9 किलोमीटर है जिसके निर्माण पर कुल 516 करोड़ की लागत आई है । भारत-नेपाल सीमा के लिए सामरिक दृष्किोण से भी यह रेल महासेतु काफी महत्वपूर्ण है । इस परियोजना को कोविड महामारी के दौरान ही अंतिम रूप दिया गया जिसमें प्रवासी श्रमिकों की भी सेवा ली गई ।

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विडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा बिहार राज्य की जनता को उपहार 

इस प्रकार बिहार राज्य विशेषकर कोसी क्षेत्र के लोगों का 86 वर्ष पुराना सपना अब साकार होने जा रहा है । माननीय प्रधानमंत्री जी ऐतिहासिक और चिर-प्रतीक्षित कोसी रेल महासेतु राष्ट्र को समर्पित करने के साथ ही सहरसा-आसनपुर कुपहा डेमू ट्रेन का सुपौल स्टेशन से शुभारंभ करेगे । परिचालन प्रारंभ हो जाने के बाद सुपौल, अररिया और सहरसा जिले के लोगों को काफी लाभ होगा । साथ ही इस क्षेत्र के लोगों के लिए कोलकाता, दिल्ली और मुंबई तक की लंबी दूरी की ट्रेनों से यात्रा करना काफी सुविधाजनक हो जाएगा । सहरसा-सरायगढ़-आसनपुर कुपहा रेलखंड की कुल लंबाई 64 किलोमीटर है जिसमें सहरसा से सुपौल (26 किमी) तक ट्रेनों का परिचालन जारी है । अब कोसी रेल महासेतु बन जाने के बाद सुपौल से आसनपुर कुपहा तक ट्रेन परिचालन का मार्ग प्रशस्त हो गया है ।

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