प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर कहीं ‘जल संरक्षण संग्रहालय’ का उद्घाटन, तो कहीं कुनो नॅशनल पार्क में मोदीजी आठ जंगली चीतों को छोड़ा

PM releases wild Cheetahs - which had become extinct from India. Photo: PIB

नई दिल्ली : आज देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 72 वां जन्मदिन है। आज़ाद भारत के वे पहले प्रधानमंत्री हैं जिनका जन्म स्वतंत्र भारत में हुआ है। आज देश में उनके जन्मदिन के सम्मानार्थ सुलभ इंटरनेशनल सोसल सर्विस ऑर्गेनाइजेशन द्वारा जलसंरक्षण के महत्व को प्रदर्शित करने वाले एक संग्रहालय का उद्घाटन किया गया जिससे आने वाले दिनों में जल संबंधी शिक्षण एवं अनुसंधान के विभिन्न पहलुओं को प्रमुखता से सामने रखना एवं लोगों के बीच जल संरक्षण के प्रति जागरूकता पैदा करना है। वहीँ भारतीय जनता पार्टी द्वारा एक ‘विकासात्मक’ पहल के तहत ‘सेवा’ गतिविधियां शुरू की गई। 

लेकिन इन सभी क्रियाकलापों से दूर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत से विलुप्त हो चुके जंगली चीतों को कुनो नेशनल पार्क में छोड़ा। नामीबिया से लाए गए इन चीतों को ‘प्रोजेक्ट चीता’, जो कि मांसाहारी बड़े जंगली जानवरों के अंतर-महाद्वीपीय स्थानांतरण की दुनिया की पहली परियोजना है, के तहत भारत में पेश किया जा रहा है। इन आठ चीतों में से पांच मादा और तीन नर हैं। प्रधानमंत्री ने कुनो नेशनल पार्क में दो रिलीज पॉइंट पर इन चीतों को छोड़ा। वे चीता मित्रों, चीता पुनर्वास प्रबंधन समूह और छात्रों के साथ बातचीत भी की। 

प्रधानमंत्री द्वारा कुनो नेशनल पार्क में जंगली चीतों को छोड़े जाने का कदम भारत के वन्य जीवन एवं प्राकृतिक वास को पुनर्जीवित करने व उनमें विविधता लाने के उनके प्रयासों का हिस्सा है। चीता को 1952 में भारत से विलुप्त घोषित कर दिया गया था। जिन चीतों को छोड़ा गया है, वे नामीबिया के हैं और उन्हें इस साल की शुरुआत में हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन के तहत भारत लाया गया है। भारत में चीता को ‘प्रोजेक्ट चीता’, जोकि मांसाहारी बड़े जंगली जानवरों के अंतर-महाद्वीपीय स्थानांतरण की दुनिया की पहली परियोजना है, के तहत लाया जा रहा है।

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PM releases wild Cheetahs – which had become extinct from India, in Kuno National Park, in Madhya Pradesh on September 17, 2022. Photo: PIB

ये चीता भारत में खुले जंगल और चरागाहों के इकोसिस्टम को बहाल करने में मदद करेंगे। इससे जैव विविधता के संरक्षण में मदद मिलेगी और यह जल सुरक्षा, कार्बन पृथक्करण और मृदा की नमी के संरक्षण जैसी इकोसिस्टम से जुड़ी सेवाओं को बढ़ाने में मदद करेगा, जिससे बड़े पैमाने पर समाज को लाभ होगा। यह प्रयास पर्यावरण एवं वन्यजीव संरक्षण के प्रति प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता के अनुरूप है और यह पर्यावरण के अनुकूल विकास एवं इकोटूरिज्म की गतिविधियों के जरिए स्थानीय समुदाय की आजीविका के अवसरों में वृद्धि करेगा।

PM releases wild Cheetahs – which had become extinct from India, in Kuno National Park, in Madhya Pradesh on September 17, 2022. Photo: PIB

भारत की धरती पर चीतों को फिर से लौटाने का यह ऐतिहासिक कदम पिछले आठ वर्षों में स्थिरता और पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित करने के विभिन्न उपायों की एक लंबी श्रृंखला का हिस्सा है, जिसके परिणामस्वरूप पर्यावरण संरक्षण और स्थिरता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल हुई हैं। वर्ष 2014 में संरक्षित क्षेत्रों का जो कवरेज देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 4.90 प्रतिशत था, वह अब बढ़कर 5.03 प्रतिशत हो गया है। वर्ष 2014 में देश में जहां कुल 1,61,081.62 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ 740 संरक्षित क्षेत्र थे, वहीं अब कुल 1,71,921 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ 981 संरक्षित क्षेत्र हो गए हैं।

पिछले चार वर्षों में वन और वृक्षों के कवरेज में 16,000 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है। भारत दुनिया के उन चंद देशों में शामिल है जहां वन क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है। कम्युनिटी रिजर्व की संख्या में भी वृद्धि हुई है। वर्ष 2014 में जहां सिर्फ 43 कम्युनिटी रिजर्व थे, 2019 में उनकी संख्या बढ़कर 100 से भी अधिक हो गई है।

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PM releases wild Cheetahs – which had become extinct from India, in Kuno National Park, in Madhya Pradesh on September 17, 2022. Photo: PIB

भारत में 52 टाइगर रिजर्व हैं, जोकि 18 राज्यों के लगभग 75,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हुए हैं। यहां दुनिया के लगभग 75 प्रतिशत जंगली बाघ बसते हैं। भारत ने लक्षित वर्ष 2022 से चार साल पहले 2018 में ही बाघों की संख्या को दोगुना करने का लक्ष्य हासिल कर लिया। भारत में बाघों की संख्या 2014 में 2,226 से बढ़कर 2018 में 2,967 हो गई है। बाघों के संरक्षण के लिए बजटीय आवंटन 2014 में 185 करोड़ रुपये से बढ़कर 2022 में 300 करोड़ रुपये हो गया है।एशियाई शेरों की संख्या में 28.87 प्रतिशत की वृद्धि दर (अब तक की सबसे अधिक वृद्धि दरों में से एक) के साथ निरंतर वृद्धि हुई है। एशियाई शेरों की संख्या 2015 में 523 से बढ़कर 674 हो गई है। भारत में अब (2020) तेन्दुओं की संख्या 12,852 है, जबकि 2014 के पिछले अनुमानों के अनुसार यह संख्या 7910 ही थी। तेन्दुओं की संख्या में 60 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है।

वहीँ एक कार्यक्रम में लोगों को सम्बोधित करते प्रधानमंत्री ने कहा: “मैं देश के लोगों को, मध्य प्रदेश के लोगों को इस ऐतिहासिक अवसर पर बहुत-बहुत बधाई देता हूं। लेकिन इससे भी ज्यादा मैं आप सबको, इस इलाके के नागरिकों को एक विशेष बधाई देता हूं। हिन्दुस्तान तो बहुत बड़ा है। जंगल भी बहुत है। वन्य पशु भी बहुत जगह पर हैं। लेकिन ये चीते आपके यहां आने का भारत सरकार ने निर्णय क्यों किया? क्या कभी आपने सोचा है? यही तो सबसे बड़ी बात है। ये चीता आपको सुपुर्द इसलिए किया है कि आप पर हमारा भरोसा है। आप मुसीबत झेलेंगे, लेकिन चीते पर मुसीबत नहीं आने देंगे, ये मेरा विश्वास है। इसी के कारण आज मैं आप सबको ये आठ चीतों की जिम्मेदारी सुपुर्द करने के लिए आया हूं, और मुझे पूरा विश्वास है इस देश के लोगों ने  कभी मेरे भरोसे को तोड़ा नहीं है। मध्य प्रदेश के लोगों ने कभी भी मेरे भरोसे पर आंच नहीं आने दी है और ये श्योपुर इलाके के लोगों को भी मुझे पूरा भरोसा है कि मेरे भरोसे पर आंच नहीं आने देंगे।”

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इस अवसर पर मध्य प्रदेश के राज्यपाल  श्री मंगूभाई पटेल; मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान; केन्द्रीय मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, श्री भूपेन्द्र यादव, श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया और श्री अश्विनी चौबे उपस्थित थे।    

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